किशोर कुमार - Kishore Kumar

Rishabh Swami
October 13, 2024
किशोर कुमार - Kishore Kumar

किशोर कुमार (Kishore Kumar) भारतीय सिनेमा के एक महान गायक, अभिनेता, निर्माता और निर्देशक थे। किशोर कुमार की आवाज़ में एक अनोखी मिठास थी, जो उनके गाए हुए गानों को अमर बना गई। उनके संगीत में अद्वितीयता और विविधता थी, और उन्होंने कई संगीतकारों के साथ काम किया। उनकी बहुआयामी प्रतिभा और दिलकश अंदाज ने उन्हें भारतीय सिनेमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया।

किशोर कुमार जीवनी - Kishore Kumar Biography

नाम किशोर कुमार 
मूल नाम आभास कुमार गांगुली
जन्म 4 अगस्त 1929
जन्म स्थान खण्डवा, मध्य प्रदेश, भारत  
पिता श्री कुंजीलाल 
पेशा पार्श्वगायक, अभिनेता, निर्देशक
महत्त्वपूर्ण कार्य बंगाली, हिन्दी, मराठी सहित कई भाषाओं में गायन 
पुरस्कार 8 फिल्मफेयर पुरस्कार, लता मंगेशकर पुरस्कार 
मृत्यु 13 अक्टूबर 1987, बॉम्बे, महाराष्ट्र, भारत 

प्रारंभिक जीवन - Early Life

किशोर कुमार का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता, कुंजीलाल चंद्रकांत भदुरी, एक वकील थे और माँ, गीता देवी, एक गृहणी। किशोर का परिवार संगीत और कला से जुड़ा था, जिससे उन्हें बचपन से ही संगीत का झुकाव मिला।

करियर की शुरुआत - Beginning of Career 

किशोर कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1946 में "छेड़ा" फिल्म में बैकग्राउंड गायक के रूप में की। लेकिन असली पहचान उन्हें 1950 के दशक में मिली, जब उन्होंने फिल्म "जागृति" में गाया। उनके गाने "आंधी" और "गाइड" जैसे हिट गानों ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक स्थायी स्थान दिलाया।

संगीत और गायक के रूप में पहचान - Music and identity as a singer 

किशोर कुमार ने लगभग हर प्रकार के गाने गाए, चाहे वो रोमांटिक हों, भक्ति, या फिर पॉप। उनकी आवाज़ में एक विशेष जादू था, जिससे वे गाने को जीते थे। उन्होंने कई संगीतकारों के साथ काम किया, जैसे कि R.D. Burman, Laxmikant-Pyarelal, और सलिल चौधरी।

अभिनय करियर - Acting Career

किशोर कुमार केवल एक गायक नहीं थे, बल्कि एक सफल अभिनेता भी थे। उन्होंने कई हिट फिल्में कीं, जैसे "चोर मचाए शोर", "दुलाल गंगा", "बंदिनी", और "किशोर कुमार की फिल्में"। उनकी अभिनय में अद्भुत कॉमिक टाइमिंग और रोमांटिक अंदाज था।

संगीत की यात्रा - Musical Journey

किशोर कुमार की संगीत यात्रा का आरंभ बहुत ही साधारण तरीके से हुआ, लेकिन उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें जल्दी ही पहचान दिलाई। उनका अनोखा गायन शैली, जिसमें वे अपनी आवाज में भावनाओं को भर देते थे, ने उन्हें एक अलग पहचान दी।

विरासत - Heritage 

किशोर कुमार ने अपने परिवार की संगीत परंपरा को आगे बढ़ाया और अपने अद्वितीय अंदाज से भारतीय सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी। उनके संगीत और अभिनय ने उन्हें न केवल भारतीय सिनेमा का एक प्रतीक बना दिया, बल्कि वे लाखों दिलों में बस गए।

“पाँच रुपया बारह आना” गाने की कहानी 

किशोर कुमार इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़े थे और उनकी आदत थी कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना। वह ऐसा समय था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बहुत मायने रखती थी। किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पाँच रुपया बारह आना उधार हो गए और कैंटीन का मालिक जब उनको अपने पाँच रुपया बारह आना चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पाँच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे। बाद में उन्होंने अपने एक गीत में इस पाँच रुपया बारह आना का बहुत ही भली-भांति प्रयोग किया। बहुत कम लोगों को पाँच रुपया बारह आना वाले गीत की यह मूल कहानी ज्ञात होगी। 

प्रमुख पुरस्कार - Major Awards

फिल्मफेयर पुरस्कार 

किशोर कुमार ने 8 बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जो भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माने जाते हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ गायक के लिए यह पुरस्कार कई हिट गानों के लिए मिला, जैसे "मेरे सपनों की रानी" और "हैप्पी न्यू ईयर"।

दादा साहब फाल्के पुरस्कार

1985 में, उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो भारतीय सिनेमा में सर्वोच्च सम्मान माना जाता है।

लता मंगेशकर पुरस्कार

उन्हें लता मंगेशकर पुरस्कार भी मिला, जो उनके संगीत योगदान की सराहना करता है।

निधन - Death

किशोर कुमार का निधन 13 अक्टूबर 1987 को हुआ, और यह भारतीय सिनेमा के लिए एक गहरा धक्का था। उनका जीवन और करियर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा, लेकिन उनकी प्रतिभा ने उन्हें सदाबहार बना दिया। 

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